विपत्ति और घबराहट

एक राजा अपने कुछ सेवकों को साथ लेकर कहीं दूर देश को जा रहा था। रास्ते में कुछ यात्रा समुद्र की थी इसलिए जहाज में बैठकर चलने का प्रबन्ध किया। राजा अपने सेवकों समेत जहाज में सवार हुआ। मल्लाहों ने लंगर खोल दिया।
जहाज जब कुछ दूर आगे चला तो लहरों के थपेड़ों के साथ टकरा कर वह हिलने लगा। सब लोग कई बार यात्रा कर चुके थे इसलिए कोई व्यक्ति इस हिलने डुलने से घबराया नहीं किन्तु एक सेवक जो बिल्कुल नया था। चारों ओर पानी ही पानी और बीच में डगमगाता हुआ जहाज देखकर बुरी तरह घबराने लगा। उसकी सारी देह काँप रही थी। मुँह से घिग्घी बंध रही थी नसों का लोहू पानी हुआ जा रहा था।
उसके साथी अन्य सेवकों ने समझाया, राजा ने ढांढस बंधाया। उसे बार-बार समझाया जा रहा था कि ‘यह विपत्ति देखने में ही बड़ी मालूम देती है वास्तव में तो प्रकृति की साधारण सी हलचल है। हम लोगों को इनसे डरना नहीं चाहिये और धैर्यपूर्वक अच्छा अवसर आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।’ लेकिन इस समझाने बुझाने का उस पर कुछ असर नहीं हुआ। उसका डर और घबराहट बढ़ रहे थे धैर्य छोड़ कर वह घिग्घी बाँधकर रोने लगा।
यात्रा करने वालों में से एक सेवक बहुत बुद्धिमान था। उसने राजा से कहा-महाराज आज्ञा दें तो मैं इनका डर दूर कर सकता हूँ। राजा ने आज्ञा दे दी।
वह उठा और उस बहुत डरने वाले यात्री को उठाकर समुद्र में फेंक दिया। जब तीन चार गोते लग गये तो उसे पानी में से निकाल लिया गया। और जहाज के एक कोने पर बिठा दिया गया। अब न तो वह रो रहा था और न डर रहा था।
राजा ने उस बुद्धिमान सेवक से पूछा इसमें क्या रहस्य है कि तुमने इसे पानी में पटक दिया और अब यह निकला है तो बिलकुल नहीं डर रहा है?
उस सेवक ने हाथ जोड़कर नम्रतापूर्वक कहा- श्रीमान! इससे पहले इसने डूबने का कष्ट नहीं देखा और न यह जहाज का महत्व जानता था। अब इसने वह जानकारी प्राप्त कर ली है तो घबराना छोड़ दिया है।
हम साधारण सी विपत्ति को देखकर धैर्य छोड़ देते हैं और किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। उस समय हमें स्मरण करना चाहिये दूसरे लोग जो इससे भी हजारों गुनी विपत्तियों में पड़े हैं और उन्हें सह रहे हैं। इस विपत्ति के समय में भी जो सुविधाएं हमें प्राप्त हैं उनके लिये ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिये क्योंकि दूसरे असंख्य मनुष्य उनसे भी वंचित हैं।

 Source : अखण्ड ज्योति 1940 दिसम्बर

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आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.