शब्द की ताकत

एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, ” अरे छोटू , कहाँ जा रहे हो तुम ?”“मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ !”, 

चीता रोमांचित होते हुए बोला।“हा-हा-हा-“, लकड़बग्घा हंसा ,” अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं , तुम इतने छोटे हो , तुम्हे शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है , तुम क्या शिकार करोगे !!”लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया , दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा , कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा।

अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला। कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पुछा , ” कहाँ जा रहे हो बेटा ?”“बंदर मामा, मैं शिकार पर जा रहा हूँ। ” चीता बोला।“बहुत अच्छे ” बन्दर बोला , ”तुम्हारी ताकत और गति के कारण तुम एक बेहद कुशल शिकारी बन सकते हो , जाओ तुम्हे जल्द ही सफलता मिलेगी।”यह सुन चीता उत्साह से भर गया और कुछ ही समय में उसनेके छोटे हिरन का शिकार कर लिया।


मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में “शब्द” बहुत मायने रखते हैं। दोनों ही दिन चीता तो वही था, उसमे वही फूर्ति और वही ताकत थी पर जिस दिन उसे डिस्करेज कियागया वो असफल हो गया और जिस दिन एनकरेज किया गया वो सफल हो गया।इस छोटी सी कहानी से हम तीनज़रूरी बातें सीख सकते हैं :


पहली , हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने “शब्दों” से किसी को encourage करें , discourage नहीं। Of course, इसका ये मतलब नहीं कि हम उसे उसकी कमियों से अवगत न करायें , या बस झूठ में ही एन्करजे करें।


दूसरी, हम ऐसे लोगों से बचें जो हमेशा निगेटिव सोचते और बोलते हों, और उनका साथ करें जिनका outlook positive हो।

तीसरी और सबसे अहम बात , हम खुद से क्या बात करते हैं , self-talk में हम कौन से शब्दों का प्रयोग करते हैं इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखें , क्योंकि ये “शब्द” बहुत ताकतवर होते हैं , क्योंकि ये “शब्द” ही हमारे विचार बन जाते हैं , और ये विचार ही हमारीज़िन्दगी की हकीकतबन कर सामनेआते हैं , इसलिए दोस्तों , words की power को पहचानिये, जहाँ तक हो सके पॉजिटिव वर्ड्स का प्रयोग करिये , इस बात को समझिए कि ये आपकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं।

भगवान (Bhagwan) का अस्तित्व :

एक बार एक व्यक्ति नाई की दुकान पर अपने बाल कटवाने गया| नाई और उस व्यक्ति के बीच में ऐसे ही बातें शुरू हो गई और वे लोग बातें करते-करते “भगवान” के विषय पर बातें करने लगे| 

तभी नाई ने कहा – “मैं भगवान (Bhagwan) के अस्तित्व को नहीं मानता और इसीलिए तुम मुझे नास्तिक भी कह सकते हो|” 

तुम ऐसा क्यों कह रहे हो” व्यक्ति ने पूछा|

नाई ने कहा – “बाहर जब तुम सड़क पर जाओगे तो तुम समझ जाओगे कि भगवान का अस्तित्व नहीं है| अगर भगवान (Bhagwan) होते, तो क्या इतने सारे लोग भूखे मरते? क्या इतने सारे लोग बीमार होते? क्या दुनिया में इतनी हिंसा होती? क्या कष्ट या पीड़ा होती? मैं ऐसे निर्दयी ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकता जो इन सब की अनुमति दे|”

व्यक्ति ने थोड़ा सोचा लेकिन वह वाद-विवाद नहीं करना चाहता था इसलिए चुप रहा और नाई की बातें सुनता रहा|
नाई ने अपना काम खत्म किया और वह व्यक्ति नाई को पैसे देकर दुकान से बाहर आ गया| वह जैसे ही नाई की दुकान से निकला, उसने सड़क पर एक लम्बे-घने बालों वाले एक व्यक्ति को देखा जिसकी दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी और ऐसा लगता था शायद उसने कई महीनों तक अपने बाल नही कटवाए थे| वह व्यक्ति वापस मुड़कर नाई की दुकान में दुबारा घुसा और 

उसने नाई से कहा – “क्या तुम्हें पता है? नाइयों का अस्तित्व नहीं होता”

नाई ने कहा – “तुम कैसी बेकार बातें कर रहे हो? क्या तुम्हे मैं दिखाई नहीं दे रहा? मैं यहाँ हूँ और मैं एक नाई हूँ| और मैंने अभी अभी तुम्हारे बाल काटे है|”

व्यक्ति ने कहा – “नहीं ! नाई नहीं होते हैं| अगर होते तो क्या बाहर उस व्यक्ति के जैसे कोई भी लम्बे बाल व बढ़ी हुई दाढ़ी वाला होता?”

नाई ने कहा – “अगर वह व्यक्ति किसी नाई के पास बाल कटवाने जाएगा ही नहीं तो नाई कैसे उसके बाल काटेगा?”

व्यक्ति ने कहा – “तुम बिल्कुल सही कह रहे हो, यही बात है| भगवान भी होते है लेकिन कुछ लोग भगवान पर विश्वास ही नहीं करते तो भगवान उनकी मदद कैसे करेंगे|”

Moral of Hindi Story :
विश्वास ही सत्य है| अगर भगवान पर विश्वास करते है तो हमें हर पल उनकी अनुभूति होती है और अगर हम विश्वास नहीं करते तो हमारे लिए उनका कोई अस्तित्व नहीं |

सीखना बंद तो जीतना बंद……

‘कौन बनेगा करोरपति’ के हर परमोशन में अमिताभ बच्चन जी एक कमाल का वाक्य  बोलते हैं कि ‘सीखना बंद तो जीतना बंद’ कितने  सरल तरीके से सबसे बड़े सवाल का जवाब दे दिया अमिताभ बच्चन जी ने. हर युग में, दुनिया के हर कोने में, हर इन्सान ये ही जानना चाहता है कि वो कैसे जीत सकता है? कैसे कामयाब हो सकता है? जी हाँ! ये ही जवाब है, ये ही सच्चाई है जब हम सीखना बंद कर देते है तो अपनी कामयाबी से दूर होने लगते है……
जीत या कामयाबी  एक नशा है, एक आदत है, एक जूनून है. जब तक यह नशा रहता है हम अपनी जीत के लिय, कामयाबी के लिय सब कुछ करना चाहते हैं. इस के लिय सब कुछ जानना, सीखना चाहते है, सब कुछ. और जैसे-जैसे यह नशा उतरने लगता है, जीतने का जूनून कम होने लगता है हम सीखना बंद कर देते है और हमारी  ग्रोथ वहीँ के वहीँ रुक जाती है……
इस दुनिया में हम बहुत कामयाब और खुशहाल लोगो को देखते है और सोचते है कि काश! हम भी उनकी तरह होते हमारी किस्मत भी ऊपर वाले ने उन लोगो की जैसी बनाई होती. और अपनी नाकामयाबी के लिय खुदा से लेकर हर किसी को दोष दे रहे होते हैं….लेकिम जब हम बदकिस्मती का रोना रो रहे होते है तो हम यह भूल जाते है कि उसमे हमारे परिश्रम और काबलियत के अभाव का कितना हिस्सा है?……
मगर इतनी सी बात को समझना नहीं चाहते कि अपने-अपने क्षेत्र में जो जितना ट्रेंड है वो उतना ही कामयाब है. सबसे ट्रेंड सबसे कामयाब यानि सबसे अव्वल, कम ट्रेंड कम कामयाब और सबसे कम ट्रेंड सबसे कम सफल यानि सबसे पीछे……
आप आज जो कुछ भी है, लो कुछ आप कर सकते है उसकी आपको जाने अनजाने ट्रेनिंग मिली है  जैसे-जो भाषा आप बोलते है उस भाषा को आपको सिखाया गया है, आप को चलना, खाना खाना, उठाना-बैठना, बात करना सबकुछ की आपको ट्रेनिंग मिली है, सोचिये अगर आपके पैरेंट्स ने आपको बिना कुछ सिखाये ऐसे ही छोड़ दिया होता तो आज आप की हालत क्या हो सकती थी. बचपन से लेकर आज तक आपको जैसी ट्रेनिंग मिली आप वैसे ही बन गए. अच्छी ट्रेनिंग अच्छे इन्सान, बहुत अच्छी ट्रेनिंग बहुत अच्छे इन्सान….
दोस्तों कामयाब(अमीर) लोग लगातार सीखते है खुद को विकसित करते हैं नाकामयाब (गरीब) लोग सोचते हैं उन्हें सब कुछ आता है….इस दुनिया का सबसे ख़राब वाक्य “ मैं सब कुछ जनता हूँ.”  “I KNOW EVERY THING” है. 3 इडियट फिल्म में आमिर खान कहते है ‘काबिल बनो कामयाबी झक मारकर पीछे-पीछे आ जायगी’. कामयाब लोग सेमिनार में जाते है, लेक्चर सुनते है, वर्कशॉप अटेंड करते है, वो सीखने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते. अपने बिजनेस या फील्ड के अपडेट्स बराबर लेते रहते है. इसीलीय अमीर लोग ज्यादा धन कमाते है क्योंकि वो ज्यादा ट्रेंड होते है.
दोस्तों आपकी आय उसी हद तक बढ़ सकती है जिस हद तक आप बढ़ सकते हैं यानि आप जितना ज्यादा सीखेंगे उतना ज्यादा कामयाब होंगे. सचिन तेन्दुलकर को क्रिकेट का भगवान इसलिय कहा जाता है क्योंकि वो हर तरह की बौल को चार तरह से खेल सकते है. “कामयाब लोग धनवान बनने के लिय समर्पित होते है जबकि गरीब यानि नाकामयाब लोग धनवान बनना चाहते है’.
जिस तरह एक पौधा अगर बढ़ नहीं रहा होता है तो वो मर रहा होता है उसी तरह अगर आप बढ़ नहीं रहे हैं तो आप मर रहे हैं, अगर आप जीत नहीं रहे हैं तो आप हार रहे हैं
यानि आपकी सफलता आपसे दूर जा रही है… मतलब सीखना बंद तो जीतना बंद.

Heaven – स्वर्ग

एक यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ सड़क पर चल रहा था. जब वे एक विशालकाय पेड़ के पास से गुज़र रहे थे तब उनपर आसमान से बिजली गिरी और वे तीनों तत्क्षण मर गए. लेकिन उन तीनों को यह प्रतीत नहीं हुआ कि वे अब जीवित नहीं है और वे चलते ही रहे. कभी-कभी मृत प्राणियों को अपना शरीरभाव छोड़ने में समय लग जाता है.
उनकी यात्रा बहुत लंबी थी. आसमान में सूरज ज़ोरों से चमक रहा था. वे पसीने से तरबतर और बेहद प्यासे थे. वे पानी की तलाश करते रहे. सड़क के मोड़ पर उन्हें एक भव्य द्वार दिखाई दिया जो पूरा संगमरमर का बना हुआ था. द्वार से होते हुए वे स्वर्ण मढ़ित एक अहाते में आ पहुंचे. अहाते के बीचोंबीच एक फव्वारे से आईने की तरह साफ़ पानी निकल रहा था.
यात्री ने द्वार की पहरेदारी करनेवाले से कहा:
“नमस्ते, यह सुन्दर जगह क्या है?
“यह स्वर्ग है”.


 “कितना अच्छा हुआ कि हम चलते-चलते स्वर्ग आ पहुंचे. हमें बहुत प्यास लगी है.”
“तुम चाहे जितना पानी पी सकते हो”.
“मेरा घोड़ा और कुत्ता भी प्यासे हैं”.
“माफ़ करना लेकिन यहाँ जानवरों को पानी पिलाना मना है”
यात्री को यह सुनकर बहुत निराशा हुई. वह खुद बहुत प्यासा था लेकिन अकेला पानी नहीं पीना चाहता था. उसने पहरेदार को धन्यवाद दिया और अपनी राह चल पड़ा. आगे और बहुत दूर तक चलने के बाद वे एक बगीचे तक पहुंचे जिसका दरवाज़ा जर्जर था और भीतर जाने का रास्ता धूल से पटा हुआ था.
भीतर पहुँचने पर उसने देखा कि एक पेड़ की छाँव में एक आदमी अपने सर को टोपी से ढंककर सो रहा था.
“नमस्ते” – यात्री ने उस आदमी से कहा – “मैं, मेरा घोड़ा और कुत्ता बहुत प्यासे हैं. क्या यहाँ पानी मिलेगा?”
उस आदमी ने एक ओर इशारा करके कहा – “वहां चट्टानों के बीच पानी का एक सोता है. जाओ जाकर पानी पी लो.”
यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ वहां पहुंचा और तीनों ने जी भर के अपनी प्यास बुझाई. फिर यात्री उस आदमी को धन्यवाद कहने के लिए आ गया.
“यह कौन सी जगह है?”
“यह स्वर्ग है”.
“स्वर्ग? इसी रास्ते में पीछे हमें एक संगमरमरी अहाता मिला, उसे भी वहां का पहरेदार स्वर्ग बता रहा था!”
“नहीं-नहीं, वह स्वर्ग नहीं है. वह नर्क है”.
यात्री अब अपना आपा खो बैठा. उसने कहा – “भगवान के लिए ये सब कहना बंद करो! मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब क्या है!”
आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा – “नाराज़ न हो भाई, संगमरमरी स्वर्ग वालों का तो हमपर बड़ा उपकार है. वहां वे सभी लोग रुक जाते हैं जो अपने भले के लिए अपने सबसे अच्छे दोस्तों को भी छोड़ सकते हैं.”
(यह कहानी पाउलो कोएलो की किताब “The Devil and Miss Prym” से ली गयी है. A story on friendship by Paulo Coelho – in Hindi)

 

आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.