आज के समय में सामने आ रही संभावनाओं को पहचानने और अवसर का लाभ उठाने के लिए सबसे जरूरी अपने हुनर को पहचानना है। खुद को कमतर समझने की बजाय अपने हुनर को जानकर उसे तराशें, तभी आप बदलते वक्त के साथ आगे बढ़ सकेंगे। कैसे बढ़ें इस राह पर, बता रहे हैं इस आलेख में-
काउंसलिंग की प्रक्रिया के दौरान अक्सर इस तरह के पत्र और ई-मेल आते हैं, जिनका आशय होता है कि मैंने इस संकाय में व्यवसायिक कोर्स किया है, लेकिन अनुभव न होने के कारण कोई काम या नौकरी नहीं मिल रही या पिफर मैं परीक्षा में नंबर तो ज्यादा लाना चाहता हूं, पर पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं दे पाता या मन ही नहीं लगता। यह भी कि कोर्स पूरा किए एक साल हो गया, लेकिन अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली..।
अगर ऐसे पत्र लिखने वालों की भाषा पर मनोवैज्ञानिक नजरिए से विचार करें या पिफर ऐसे लोगों के मन में झांकने का प्रयास करें तो यही लगता है कि ऐसे लोग बेशक अपनी नजरों में खुद को कमजोर पा रहे हों, लेकिन इनमें अपनी पहचान की जिजीविषा जरूर है। उनके भीतर कहीं न कहीं अपनी पहचान बनाने की बेचैनी नजर आती है। अगर ऐसा नहीं होता, तो शायद वे ज्यादा नंबर या अच्छी नौकरी पाने के लिए बेचैन नहीं होते। इनमें से अध्कितर के सपने इसलिए पूरे नहीं हो पाते, क्योंकि ज्यादातर को अपने भीतर छिपे हुनर का पता ही नहीं होता। यही कारण है कि वे अपनी अंतर्निहित प्रतिभा का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।
पहचान पाने की आकांक्षा
आलोचना किसी को भी अच्छी नहीं लगती। बुरे से बुरा व्यक्ति भी अपनी आलोचना शायद ही बर्दाश्त कर पाता है। इसका मतलब यह है कि हर किसी के भीतर जो स्वाभिमान होता है वही उनमें अपनी पहचान की इच्छा जगाता है। अगर आप किसी परीक्षा में अच्छे अंक या अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि आपके मन में कहीं न कहीं प्रतिस्पर्ध का भी भाव है। जिस समाज में आप रह रहे हैं, उसमें दूसरों की व्यंग्यात्मक नजरों का सामना करने में आपको कहीं न कहीं तकलीपफ होती है। आप इस स्थिति से उबरना तो चाहते हैं, पर आलस्य की आदत या किसी दूसरी कमजोरी के कारण ऐसा नहीं कर पाते। यह स्थिति अध्कि समय तक जारी रहने पर व्यक्ति प्रायः निराशा के अंध्कार में डूबने लगता है।
हुनर को जानें
आप आगे निकलना चाहते हैं, घर-परिवार-समाज और इष्ट-मित्रों में अलग पहचान बनाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले अपने भीतर छिपे हुनर को खोज निकालना होगा। याद रखें, इस संसार में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है, जिसके भीतर कोई न कोई गुण न हो। इसलिए यह हीन भावना अपने भीतर से निकाल पफेंके कि आपको कुछ नहीं आता या आप पूरी तरह से नकारा हैं। दूसरों के बुरा-भला कहने की परवाह करने की बजाय इस बात की परवाह और समीक्षा करें कि आखिर वे आपको ऐसा क्यों कहते-समझते हैं? आखिर आपकी वह कौन-सी खराबी है, जो उन्हें रास नहीं आती।
दूर भगाएं कमजोरी
दूसरे आपको क्या कहते और समझते हैं, इसकी परवाह न करें। हां, जिस दिन आपकी अंतरात्मा आप पर सवाल उठाने लगे, समझ लें कि आपके जागने का समय आ गया है। बिना समय गंवाए, अपनी कमजोरियों की तलाश शुरू कर दें। इस बात का विश्लेषण करें कि आखिर वे कौन-से कारण हैं, जिनकी वजह से असपफलता मिलती रही है या पिफर आप मनोवांछित परिणाम नहीं हासिल कर पा रहे। इसके बाद एक-एक करके इन कमजोरियों को दूर भगाने की कोशिश करें।
ईमानदारी से करें प्रयास
आप दूसरों को तो धेखा दे सकते हैं, लेकिन अपने आपको कतई नहीं। इसलिए कमजोरियों को दूर करने के बाद समुचित रणनीति के साथ अपनी मंजिल की दिशा में ईमानदारी से कदम बढ़ाएं। आलस्य से दूर रहें। मन में बिठा लें कि किसी भी तरह से लक्ष्य हासिल करना है, चाहे इसके लिए कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े।
उत्साह और आत्मविश्वास
पढ़ाई या करियर में आगे बढ़ने और पहचान बनाने के लिए उमंग और उत्साह बेहद जरूरी है। आप जो भी काम कर रहे हैं, उसे पूरे उत्साह के साथ करें। उत्साह होने पर कोई भी काम मुश्किल नहीं लगेगा इसके साथ अपने आत्मविश्वास को कभी कम न होने दें। किसी भी लक्ष्य को सकारात्मक नजरिए से देखें।
चलें वक्त के साथ
आप जो भी कोर्स कर रहे हैं या विषय पढ़ रहे हैं, अगर उसमें आपका मन नहीं लग रहा तो समय रहते उसे बदल लें। अगर कापफी आगे निकल चुके हैं, जहां से वापस लौटना संभव नहीं, तो इस बात पर विचार करें कि कैसे उसी में मन लगा सकते हैं ताकि बेहतर परिणाम हासिल कर सकें। इसके अलावा, अगर काॅलेज या संस्थान इंडस्ट्री की आवश्यकता के अनुसार जरूरी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर ध्यान नहीं दे रहे, तो खुद की पहल से ऐसी ट्रेनिंग हासिल करने का प्रयास करें। आखिर आपके बेहतर करियर का सवाल जो है। इसके लिए समय निकालें कंपनियों या संस्थानों में संपर्क करें। प्रायोगिक जानकारी हासिल करें। भले ही इसके एवज में शुरुआत में पैसे न मिलें। इस तरह पढ़ाई पूरी होने के साथ-साथ आप जरूरी स्किल भी हासिल कर लेंगे। काम नहीं मिल रही, तो आप अपनी पढ़ाई वाले क्षेत्रा में मार्केट या इंडस्ट्री की आवश्यकता के मुताबिक जरूरी प्रशिक्षण प्राप्त करें और खुद को लगातार अपडेट करते रहें।
अपनी खूबियों को जानें और उन्हें तराशें
आत्मविश्वास को उच्चशिखर पर रखें, ताकि किसी भी काम को उत्साह के साथ कर सकें। पढ़ाई और नौकरी के साथ-साथ अपनी कार्य क्षमता को अपडेट करते रहें, ताकि समय के साथ-साथ चलते हुए अपनी उपयोगिता साबित कर सकें।
Source : http://samacharsurbhi.com/?p=624
काउंसलिंग की प्रक्रिया के दौरान अक्सर इस तरह के पत्र और ई-मेल आते हैं, जिनका आशय होता है कि मैंने इस संकाय में व्यवसायिक कोर्स किया है, लेकिन अनुभव न होने के कारण कोई काम या नौकरी नहीं मिल रही या पिफर मैं परीक्षा में नंबर तो ज्यादा लाना चाहता हूं, पर पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं दे पाता या मन ही नहीं लगता। यह भी कि कोर्स पूरा किए एक साल हो गया, लेकिन अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली..।
अगर ऐसे पत्र लिखने वालों की भाषा पर मनोवैज्ञानिक नजरिए से विचार करें या पिफर ऐसे लोगों के मन में झांकने का प्रयास करें तो यही लगता है कि ऐसे लोग बेशक अपनी नजरों में खुद को कमजोर पा रहे हों, लेकिन इनमें अपनी पहचान की जिजीविषा जरूर है। उनके भीतर कहीं न कहीं अपनी पहचान बनाने की बेचैनी नजर आती है। अगर ऐसा नहीं होता, तो शायद वे ज्यादा नंबर या अच्छी नौकरी पाने के लिए बेचैन नहीं होते। इनमें से अध्कितर के सपने इसलिए पूरे नहीं हो पाते, क्योंकि ज्यादातर को अपने भीतर छिपे हुनर का पता ही नहीं होता। यही कारण है कि वे अपनी अंतर्निहित प्रतिभा का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।
पहचान पाने की आकांक्षा
आलोचना किसी को भी अच्छी नहीं लगती। बुरे से बुरा व्यक्ति भी अपनी आलोचना शायद ही बर्दाश्त कर पाता है। इसका मतलब यह है कि हर किसी के भीतर जो स्वाभिमान होता है वही उनमें अपनी पहचान की इच्छा जगाता है। अगर आप किसी परीक्षा में अच्छे अंक या अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि आपके मन में कहीं न कहीं प्रतिस्पर्ध का भी भाव है। जिस समाज में आप रह रहे हैं, उसमें दूसरों की व्यंग्यात्मक नजरों का सामना करने में आपको कहीं न कहीं तकलीपफ होती है। आप इस स्थिति से उबरना तो चाहते हैं, पर आलस्य की आदत या किसी दूसरी कमजोरी के कारण ऐसा नहीं कर पाते। यह स्थिति अध्कि समय तक जारी रहने पर व्यक्ति प्रायः निराशा के अंध्कार में डूबने लगता है।
हुनर को जानें
आप आगे निकलना चाहते हैं, घर-परिवार-समाज और इष्ट-मित्रों में अलग पहचान बनाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले अपने भीतर छिपे हुनर को खोज निकालना होगा। याद रखें, इस संसार में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है, जिसके भीतर कोई न कोई गुण न हो। इसलिए यह हीन भावना अपने भीतर से निकाल पफेंके कि आपको कुछ नहीं आता या आप पूरी तरह से नकारा हैं। दूसरों के बुरा-भला कहने की परवाह करने की बजाय इस बात की परवाह और समीक्षा करें कि आखिर वे आपको ऐसा क्यों कहते-समझते हैं? आखिर आपकी वह कौन-सी खराबी है, जो उन्हें रास नहीं आती।
दूर भगाएं कमजोरी
दूसरे आपको क्या कहते और समझते हैं, इसकी परवाह न करें। हां, जिस दिन आपकी अंतरात्मा आप पर सवाल उठाने लगे, समझ लें कि आपके जागने का समय आ गया है। बिना समय गंवाए, अपनी कमजोरियों की तलाश शुरू कर दें। इस बात का विश्लेषण करें कि आखिर वे कौन-से कारण हैं, जिनकी वजह से असपफलता मिलती रही है या पिफर आप मनोवांछित परिणाम नहीं हासिल कर पा रहे। इसके बाद एक-एक करके इन कमजोरियों को दूर भगाने की कोशिश करें।
ईमानदारी से करें प्रयास
आप दूसरों को तो धेखा दे सकते हैं, लेकिन अपने आपको कतई नहीं। इसलिए कमजोरियों को दूर करने के बाद समुचित रणनीति के साथ अपनी मंजिल की दिशा में ईमानदारी से कदम बढ़ाएं। आलस्य से दूर रहें। मन में बिठा लें कि किसी भी तरह से लक्ष्य हासिल करना है, चाहे इसके लिए कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े।
उत्साह और आत्मविश्वास
पढ़ाई या करियर में आगे बढ़ने और पहचान बनाने के लिए उमंग और उत्साह बेहद जरूरी है। आप जो भी काम कर रहे हैं, उसे पूरे उत्साह के साथ करें। उत्साह होने पर कोई भी काम मुश्किल नहीं लगेगा इसके साथ अपने आत्मविश्वास को कभी कम न होने दें। किसी भी लक्ष्य को सकारात्मक नजरिए से देखें।
चलें वक्त के साथ
आप जो भी कोर्स कर रहे हैं या विषय पढ़ रहे हैं, अगर उसमें आपका मन नहीं लग रहा तो समय रहते उसे बदल लें। अगर कापफी आगे निकल चुके हैं, जहां से वापस लौटना संभव नहीं, तो इस बात पर विचार करें कि कैसे उसी में मन लगा सकते हैं ताकि बेहतर परिणाम हासिल कर सकें। इसके अलावा, अगर काॅलेज या संस्थान इंडस्ट्री की आवश्यकता के अनुसार जरूरी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर ध्यान नहीं दे रहे, तो खुद की पहल से ऐसी ट्रेनिंग हासिल करने का प्रयास करें। आखिर आपके बेहतर करियर का सवाल जो है। इसके लिए समय निकालें कंपनियों या संस्थानों में संपर्क करें। प्रायोगिक जानकारी हासिल करें। भले ही इसके एवज में शुरुआत में पैसे न मिलें। इस तरह पढ़ाई पूरी होने के साथ-साथ आप जरूरी स्किल भी हासिल कर लेंगे। काम नहीं मिल रही, तो आप अपनी पढ़ाई वाले क्षेत्रा में मार्केट या इंडस्ट्री की आवश्यकता के मुताबिक जरूरी प्रशिक्षण प्राप्त करें और खुद को लगातार अपडेट करते रहें।
अपनी खूबियों को जानें और उन्हें तराशें
आत्मविश्वास को उच्चशिखर पर रखें, ताकि किसी भी काम को उत्साह के साथ कर सकें। पढ़ाई और नौकरी के साथ-साथ अपनी कार्य क्षमता को अपडेट करते रहें, ताकि समय के साथ-साथ चलते हुए अपनी उपयोगिता साबित कर सकें।
Source : http://samacharsurbhi.com/?p=624
Categories:
PAGE 1
0 comments:
Post a Comment