एक
ट्रक में मारबल जा रहा था।उसमें एक भगवान की मूर्ति, और
चकोर टाइल्स साथ- साथ जा रही थी।
रास्ते में आपस में टकराते (टक-टक-टक) हुए टाइल्स ने भगवान् की
मूर्ति से कहा...भाई उपर वाले के द्वारा हम दोनों के साथ यह भेदभाव क्यों ?
मूर्ति: कैसा भेदभाव ?
टाइल्स: भाई तुम भी पत्थर, मैं
भी पत्थर, तुम भी उसी खान से निकले जिससे मैं निकला, तुम उसी के द्वारा बेचे और खरीदें गये जिनके द्वारा मैं|
तुम भी उसी ट्रक में जा रहे हो जिसमें मैं |
तुम भी उसी मंदिर में लगाए जाओगे जिसमें मैं |
लेकिन मेरे भाई तेरी तो पूजा होगी,
और मैं पावं तले कुचला जाऊँगा।
यह भेदभाव आखिर क्यों ?
तुम भी उसी ट्रक में जा रहे हो जिसमें मैं |
तुम भी उसी मंदिर में लगाए जाओगे जिसमें मैं |
लेकिन मेरे भाई तेरी तो पूजा होगी,
और मैं पावं तले कुचला जाऊँगा।
यह भेदभाव आखिर क्यों ?
मूर्ति: सुनो, जब
हमें छेनी-हथोड़े से तराशा जा रहा था, तब तुम चोट
बरदाश्त नहीं कर सके और टूट गये।
मैं चोट को बरदाश्त करता गया।कभी आखँ बनी, कभी नाक बनी, कभी पैर बने, कभी हाथ।
ऐसी लाखों करोड़ों चोटें सहन की मैंने। चोट सहते-सहते...
मेरा रूप निखर गया और मैं पूजनीय हो गया।
तुम सह नहीं सके और खंडित हो गये।
तुम्हारे छोटे-छोटे टुकड़े हो गये और तुम कुचलनीय हो गये...
मैं चोट को बरदाश्त करता गया।कभी आखँ बनी, कभी नाक बनी, कभी पैर बने, कभी हाथ।
ऐसी लाखों करोड़ों चोटें सहन की मैंने। चोट सहते-सहते...
मेरा रूप निखर गया और मैं पूजनीय हो गया।
तुम सह नहीं सके और खंडित हो गये।
तुम्हारे छोटे-छोटे टुकड़े हो गये और तुम कुचलनीय हो गये...
इसलिए दोस्तो, जो
व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लग्न से हर मुश्किलो का सामना करता
हुआ आगे बढ़ता है, वही व्यक्ति अंत मे सफलता को प्राप्त करता है|
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