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किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था . तालाब के पास एक बागीचा था , जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे . दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बागीचे की तारीफ करते |

गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता की हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे. पर जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वो काफी हीन महसूस करने लगा . उसके अन्दर तरह-तरह के विचार आने लगे—” सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं , शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं …कहाँ ये खूबसूरत फूल और कहाँ मैं… ” और ऐसे विचार सोच कर वो पत्ता काफी उदास रहने लगा  |
दिन यूँही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया. बागीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे , देखते-देखते सभी फूल ज़मीन पर गिर कर निढाल हो गए , पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा |


पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंको की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही थी |


चींटी प्रयास करते-करते काफी थक चुकी थी और उसे अपनी मृत्यु तय लग रही थी कि तभी पत्ते ने उसे आवाज़ दी, ” घबराओ नहीं, आओ , मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ .”, और ऐसा कहते हुए अपनी उपर बैठा लिया. आंधी रुकते-रुकते पत्ता तालाब के एक छोर पर पहुँच गया; चींटी किनारे पर पहुँच कर बहुत खुश हो गयी और बोली, ” आपने आज मेरी जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है , सचमुच आप महान हैं, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! “


यह सुनकर पत्ता भावुक हो गया और बोला,” धन्यवाद तो मुझे करना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी वजह से आज पहली बार मेरा सामना मेरी काबिलियत से हुआ , जिससे मैं आज तक अनजान था. आज पहली बार मैंने अपने जीवन के मकसद और अपनी ताकत को पहचान पाया हूँ … .’
मित्रों , ईश्वर ने हम सभी को अनोखी शक्तियां दी हैं ; कई बार हम खुद अपनी काबिलियत से अनजान होते हैं और समय आने पर हमें इसका पता चलता है, हमें इस बात को समझना चाहिए कि किसी एक काम में असफल होने का मतलब हमेशा के लिए अयोग्य होना नही है . खुद की काबिलियत को पहचान कर आप वह काम कर सकते हैं , जो आज तक किसी ने नही किया है | 

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"मनुष्य को बोलना सिखने में दो साल लगते है । किन्तु यह समझने में जीवन बीत जाता है कि कब क्या बोलना चाहिए ।"- एक प्राचीन भारतीय कहावत 

दोस्तों चाहे मानो या ना मानो किन्तु हम बहुत अधिक बोलते है । कभी कभी हम अपने मित्रो और परिवार के सदस्यों से यु ही बिना किसी ख़ास बात न होने पर भी घंटो बाते करते रहते है । हमारी यह आदत फ़ोन पर भी है । अक्सर आप ने खुद को या आसपास के लोगो को फ़ोन पर बिना किसी बात के बहुत लम्बी -२ बाते करते देखा होगा ।

लेकिन ये बाते अपने कुछ जानकारों से ही करते है । यदि आपके पास काफी समय के बाद किसी परिचित का फ़ोन आ जाता है तो आप्प सबसे पहले यही पूछते हो की" क्या हुआ ,फ़ोन कैसे किया ?" यदि आप किसी को काफी समय के बाद फ़ोन करते हो तो उसकी भी यही प्रतिक्रिया होती है " क्या काम है ? फ़ोन कैसे किया ?"

इसका अर्थ  यह है कि अक्सर हम उन्ही लोगो को फ़ोन करते है जो  हमारे लिए अपना समय बर्बाद करने को तैयार है या जिन्हें हम अपना समय दे  सकते है या उनको करते है जिनसे हमको कोई ख़ास काम होता है ।

लेकिन दोस्तों इससे अलग एक दूसरे प्रकार की कॉल होती है जिसे किट(कीप इन टच ) कॉल कहते है । आपकी डायरेक्टरी ,डायरी या आपके कार्ड इंडेक्स में ऐसे बहुत से नम्बर होंगे जिनको आपने महीनो और कइयों को तो सालो से टच नही किया । आपको इन लोगो से दोबारा संपर्क बनाने की आवश्यकता है ।

चाहे आप इन भूले बिसरे लोगो से बस इतना ही कहे " आप कैसे है ? सब कुछ टेक है न? "  यदि वो आपसे पूछते है "कैसे याद किया" तो आप को कहना चाहिए की बस ऐसे ही आपसे बात करने की इच्छा हो रही थी ।विश्वास मानिए दोस्तों वह व्यक्ति खुश हो जायेगा क्योकि आपने बिना किसी से या किसी काम को कराने के लिए फ़ोन नहीं किया । 

आजकल कॉल्स के साथ साथ , SMS , व्हाट्सप्प(Whatsapp) और कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स है जिसके through हम अपने जानने वालो से टच रह सकते है । तो दोस्तों अपने नेटवर्क को स्ट्रांग करे । आपका आज बिना किसी स्वार्थ के टच रहना समय आने पर आपके बहुत काम आएगा । और दूसरा कई चीजे स्वार्थ से ऊपर होती है । अपने जान पहचान के लोगो से टच रहना कोई बुरी बात नही ।

सोचने का नजरिया

एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा हुआ लिख रहा था।
**पिछले साल मेरा आपरेशन हुआ और मेरा गाल ब्लाडर निकाल दिया गया। इस आपरेशन के कारण बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा।
**इसी साल मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा नौकरी चली गयी। जब मैंने उस प्रकाशन संस्था को छोड़ा तब 30 साल हो गए थे मिझे उस कम्पनी में काम करते हुए।
**इसी साल मुझे अपने पिता की मृत्यु का दुःख भी झेलना पड़ा।
**और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सिडेंट हो जाने के कारण मेडिकल की परिक्षा में फेल हो गया क्योंकि उसे बहुत दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। कार की टूट फुट का नुकसान अलग हुआ।
अंत में लेखक ने लिखा,
**वह बहुत ही बुरा साल था।
जब लेखक की पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि, उसका पति बहुत दुखी लग रहा है और अपने ही विचारों में खोया हुआ है।अपने पति की कुर्सी के पीछे खड़े होकर उसने देखा और पढ़ा कि वो क्या लिख रहा था।
वह चुपचाप कक्ष से बाहर गई और थोड़ी देर बाद एक दुसरे कागज़ के साथ वापस लौटी और वह कागज़ उसने अपने पति के लिखे हुए कागज़ के बगल में रख दिया।
लेखक ने पत्नी के रखे कागज़ पर देखा तो उसे कुछ लिखा हुआ नजर आया, उसने पढ़ा।
**पिछले साल आखिर मुझे उस गाल ब्लाडर से छुटकारा मिल गया जिसके कारण मैं कई सालों से दर्द से परेशान था।
**इसी साल मैं 60 वर्ष का होकर स्वस्थ दुरस्त अपनी प्रकाशन कम्पनी की नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ। अब मैं पूरा ध्यान लगाकर शान्ति के साथ अपने समय का उपयोग और बढ़िया लिखने के लिए कर पाउँगा।
**इसी साल मेरे 95 वर्ष के पिता बगैर किसी पर आश्रित हुए और बिना गंभीर बीमार हुए परमात्मा के पास चले गए।
**इसी साल भगवान् ने एक्सिडेंट में मेरे बेटे की रक्षा की। कार टूट फुट गई लेकिन मेरे बच्चे की जिंदगी बच गई। उसे नई जिंदगी तो मिली ही और हाँथ पाँव भी सही सलामत हैं।
अंत में उसकी पत्नी ने लिखा था,
**इस साल भगवान की हम पर बहुत कृपा रही, साल अच्छा बीता।

तो देखा आपने, सोचने का नजरिया बदलने पर कितना कुछ बदल जाताN है।चीजें वही रहती हैं पर आत्मसंतोष कितना मिलता है । बस हमारे नजरिये का फर्क है कि हम चीजो को किस तरीके से देखते है । हममें से ज्यादातर नेगेटिव सोचते है जैसा की इस कहानी में  पति सोचता है और खुद परेशान होता है और अपने आसपास के माहोल जैसे ऑफिस,घर और दोस्तों को भी परेशान करता है । लेकिन दोस्तों एक हकीकत बताऊ ये जितने भी लोग है जो हम से संपर्क में है ये सिर्फ हम से सिर्फ अच्छे व्यवहार को चाहते है न कि हमारे बुरे वयवहार को। तो दोस्तों खुद खुश रहे, पॉजिटिव रहे और हर चीज़ की पॉजिटिव साइड सोचिये । 

ग़्लास मत बनिए झील बनिए

एक बार एक नवयुवक किसी साधू  महात्मा  के पास पहुंचा ।

“महात्मा जी , मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताएं !” , युवक बोला |

महात्मा जी बोले , “ पानी के ग्लास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पीयो । ”युवक ने ऐसा ही किया ।

“ इसका स्वाद कैसा लगा ?”, महात्मा जी ने पुछा।

“बहुत ही खराब … एकदम खारा .” – युवक थूकते हुए बोला ।

महात्मा जी मुस्कुराते हुए बोले,“एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक लेलो और मेरे पीछे -पीछे आओ।

दोनों धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने रुक गए ।

“चलो , अब इस नमक को पानी में दाल दो .” , महात्मा जी ने निर्देश दिया।युवक ने ऐसा ही किया ।

“ अब इस झील का पानी पियो .” , महात्मा जी बोले ।

युवक पानी पीने लगा …,

एक बार फिर महात्मा जी ने पूछा ,: “ बताओ इसका स्वाद कैसा है , क्या अभी भी तुम्हे ये खरा लग रहा है ?”

“नहीं , ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है ”, युवक बोला ।

महात्मा जी युवक के बगल में बैठ गए और उसका हाथ थामते हुए बोले , “ जीवन के दुःख बिलकुल नमक की तरह हैं ; न इससे कम ना ज्यादा ।  जीवन में दुःख की मात्रा  वही रहती है , बिलकुल वही । लेकिन हम कितने दुःख का स्वाद लेते हैं ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे हैं ।  इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को बड़ा कर लो …ग़्लास मत बने रहो झील बन जाओ । ”

विशेष निवेदन :- दोस्तो कहानी कैसी लगी हमें जरूर बताये ।

* Post को शेयर करना ना भूले इससे ज्ञान का विस्तार होगा (Facebook,Twitter and through gmail)


धन्यवाद...,

SWOT ANALYSIS


दोस्तों,  आज मैं आपके साथ एक ऐसी आत्मविश्लेषण करने की तकनीक  swot analysis technique साझा करने जा रहा हुं , जिसके जरिये हम खुद का एक विश्लेषणात्मक मुल्यांकन कर सकते है । 

आइए जानते है क्या है यह तकनीक?  

इस तकनीक का नाम है SWOT Analysis. इसकी सहायता से हम अपनी खुबियों,  कमजोरियों,  अवसरों और चुनौतियों के बारे में जान सकते है । इसमें हमें अपने आप से कुछ सवाल पुछकर उनके उत्तर देना है । सामान्य तौर पर यह पाया गया है कि जितनी आसानी से हम दुसरों की कमियों और खुबियों का मुल्यांकन कर सकते उतनी आसानी से स्वयं का मुल्यांकन नहीं कर पाते है । परन्तु ये बात भी सच है कि जितनी सटीकता और वास्तविकता से हम अपना मुल्यांकन कर सकते है ऐसा ओर कोई दुसरा व्यक्ति नहीं कर सकता है । हमारी खुबियां  और कमियां हम से बेहतर और कौन जान सकता है ? 

तकनीक का इस्तेमाल कैसे करें ? 

सबसे पहले एक पेन और कागज साथ में लें और किसी एकान्त और शांत जगह पर चले जाएं । यह शांत जगह आपका कमरा,  छत,  कुछ भी हो सकती है । अब कागज को चार बराबर हिस्सों में बांट लें और उसके चार भागों में अंग्रजी के अक्षर S (Strengths) , W (Weaknesses) , O  (Opportunities) और T  (Threats)  लिखें । इसमें से पहले और तीसरे हिस्से वाली चीजें आपके लिए Helpful यानि कि उपयोगी है तथा दुसरे और चौथे हिस्से वाली चीजें Harmful है यानि कि नुकसानदायी ।

अब एक एक करके नीचे दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर संबंधित भाग में लिखते जाएं । याद रखें इन सवालों के उत्तर आपको पुरी निष्पक्षता और ईमानदारी से देने है । जवाब लिखने में किसी तरह की जल्दबाजी न करें ।

















अब लिखे गए आपके इन जवाबों को दो - तीन बार तसल्ली से पढें । S हिस्से में जितने जवाब है वह सब आपके लक्ष्य को हासिल करने में आपके सहायक तत्व है । W वाले हिस्से में लिखे हुए जवाब आपकी सफलता और अच्छे काम में  बाधक तत्व हैं । अब ये आपके ऊपर है कि आप अपनी इन कमजोरियों से कैसे निपटते है ?  O हिस्से में लिखे हुए जवाब आपके लिए सफलता के द्वार है । ये द्वार कभी- कभी ही खुलते है । इसलिए आपके सामने लिखे हुए  O हिस्से के जवाबों को अच्छे से पढें । और  इनका फायदा उठायें । अब T हिस्से के जवाबों को पढें । ये सभी आपकी सफलता की राह के कांटें हैं जिनसे आपको बचना है ।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती


लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
- हरिवंशराय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan)
Source : Internet

आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं...



आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं..
अपना गुज़रा हुआ कल अभी ज़्यादा पीछे नहीं गया है
फिर उसी सिफ़र से शुरू करते हैं
नाम-रंग-जाति-धर्म हर कुछ
जिन-जिन का वास्ता है क़िस्मत के साथ
उन सबको बदलते हैं
आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं...

 मैं कुछ भी नहीं सोचूंगा... तुम सोचना
मैं कुछ भी नहीं बोलूंगा.... तुम बोलना
मैं किसी से नहीं लडूंगा... तुम लड़ना
मैं कुछ नहीं चाहूंगा... तुम चाहना
तुम सपने देखना... तुम ही उन्हें पूरा करना
हां तुम्हारी शर्तों पर ही ये खेल खेलते हैं
आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं...

 तुम मेरी ज़िन्दगी बस एक बार जी लो
मैं तुम्हारी हर ज़िन्दगी बग़ैर शिक़ायत किए जी लूंगा
चलो तुम्हारी मनचाही मुराद पूरी करते हैं
आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं...

चलो एक और वादा करता हूं
मैं नहीं चिढ़ाउंगा तुम्हें हर हार पर
जैसे तुम और बाक़ी लोग चिढ़ाया करते थे
मैं नहीं जलील होने दूंगा तुम्हें सबके सामने
और हां आईने में शक़्ल देखने से भी नहीं रोकूंगा

क़बूल कर लो कि अब ये मेरी भी ख़्वाहिश है
आओ एक-दूसरे की ज़िन्दगी जीते हैं
आओ अपनी-अपनी क़िस्मत बदलते हैं...

Source : Internet

जो डर गया समझो वो मर गया



Life मे यदि हम किसी चीज या काम को करने मे असफल होते है तो उसकी वजह केवल एक छोटा सा शब्द डर (FEAR) है | यह शब्द डर दिखने मे तो बहुत छोटा है लेकिन जिसके मन मे यह डर बैठ गया समझो वह इंसान मर गया |

दोस्तो डर (Fear) एक ऐसी चीज है जो लगभग सभी के मन मे होता है | हर किसी मे अलग अलग प्रकार का डर होता है, जैसे किसी को परिक्षा मे फेल होने का डर, तो किसी को नौकरी चली जाने का डर होता है| यह डर (Fear) आम आदमी को अंदर से हिला कर रख देता है| एक असफलता (Failure) के भय से एक साधारण आदमी हमेशा साधारण ही बना रहता है, क्योंकि वह डरता है कि कही वह असफल (Fail)  ना हो जाये | केवल डर कि वजह से आदमी कुछ नया नही कर पाता और ना ही अपनी क्षमताओ (Capabilities) को पहचान पाता है, लेकिन जो इंसान एक बार इस डर के जंजाल से निकल जाता है, तो फिर पुरी दुनिया उसके कदमो तले होती है |

क्या आपने कभी सोचा है इंसान के मन मे डर आता क्यों है?

डर का एकमात्र कारण केवल आदमी के अंदर छिपी हुई अज्ञानता है | जब हम कुछ नया करना चाहते है और अगर हमे उस काम या चीज से सम्बंधित परिस्थितियो के बारे मे जानकारी नही है तो हम डॅरने लग जाते है कि कही कुछ गलत ना हो जाये | इस स्थिति मे हम उस काम को करने की बजाय उससे दूर भागने लग जाते है| जिससे उस काम के प्रति हमारा डर और भी भयानक हो जाता है | उस डर पर काबु पाने का सबसे आसान तरीका है कि जिस चीज या परिस्थिति से आप डर रहे है उसके बारे मे सही तथा अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर ले | जिस काम से आपको डर लगता है आप उसी काम को ज्यादा से ज्यादा करे तथा उस काम के साथ दोस्ती कर ले | फिर आपको लगेगा कि जिस काम या चीज से आप डर रहे थे वह तो एक दम साधारण है |

आपको जब भी किसी चीज या स्थिति से डर लगे, तो कम से कम एक बार खुद को आजमाकर देखे कि क्या मै इस डर पर जीत हासिल करके यह चीज प्राप्त कर सकता हूँ? इससे आपका कुछ भी नही बिगडेगा और केवल आत्मविश्वास ही बढेगा | अगर आपने इस डर के आगे घुटने टेक दिए, तब यह डर एक असलियत बन जायेगा और आप उस काम या चीज को अपने जीवन मे कभी भी प्राप्त नही कर सकोगे | जीवन मे कभी भी सफल नही हो सकोगे |

अगर जीवन मे हर कदम पर सफल होना है तो डर नाम की चीज को अपने अंदर से बाहर निकाल दो तथा केवल सकारात्मक सोच रखे नकारात्मक कभी ना सोचे |

Note : यदि आपके पास कोई कहानी या article है और उसे हमारे साथ Share करना चाहते है तो उसे हमे Email करे, पसंद आई तो जरूर publish करूंगा |

Work like as Entrepreneur not as Employee



दोस्तों खुद को एक कंपनी मान लीजिये । जैसे आप एक Recruiter हो तो आप की कंपनी का नाम  (your name) Corporation) है जो Main Company (जिसमे अभी आप काम कर रहे हो) को Recruitment services दे रही है । 

आप खुद analyse करो कि Company को आपकी कंपनी कितना कंट्रीब्यूशन कर रही है, आप अपनी Value और कैसे बढ़ा  सकते हो | हम जो काम कर रहे है उससे और कैसे Value add कर सकते है |

क्योकि जैसे जैसे आप अपनी सर्विसेज बढ़ाएंगे आपका -
Contribution (कंट्रीब्यूशन) बढेगा |
Skills improve (स्किल्स इम्प्रूव) होंगे |
Knowledge (नॉलेज) बढ़ेगी |
Competencies बढ़ेगी |
Commitment (कमिटमेंट) add होंगी |
Relations strong (रिलेशन स्ट्रांग) होंगे |

अपने आसपास देखो, जिसने अपनी सर्विसेज (Services) बढ़ायी , उसकी reputation  बढ़ी|  उसकी सैलरी बढ़ी,  उसका प्रमोशन हुआ |

कुछ लोग दुसरो को बढ़ता हुआ देखते है और प्रमोशन होते हुए देखते है, तो कहते है कि ये चमचागिरी करता है या इसकी किस्मत अच्छी है, लेकिन दोस्तों, ये वो लोग होते है, जो खुद तो कुछ करते नहीं और दुसरो को blame करते रहते है |

तो दोस्तों ये आपके हाथ में है कि आप को अपनी कंपनी को डुबोना  है या आगे grow करना है |


SEE YOUR PROBLEM AS A SOLUTION


एक बेरोजगार युवा ने OFFICE-BOY के लिए प्रार्थना पत्र लिखा|
एक अधिकारी ने उसका इन्टरव्युं लिया| इन्टरव्युं के बाद उसने युवा लडके से उसकी E-MAIL ID माँगी|
उस लडके पास E-MAIL ID नही थी|
अधिकारी बोला : ” आज जिसके पास E- MAIL ID नही उसकी कोई पहचान नही|
मुझे अफसोस है लेकिन एक पहचानहीन व्यक्ति के लिए हमारी OFFICE मेँ कोई
जगह नही|”
लडका निराश हुआ, लेकिन हिम्मत नही हारी| थोडा सोचने के बाद
अपनी 500 रुपये जैसी मामुली रकम की साग-सब्जी खरीदी और घर-घर जाकर  बेचने लगा | यह काम पुरे दिन मेँ तीन बार किया.रात को जब घर जाने लगा तब उसके हाथमेँ 3000 रुपये थे |
दुसरे दिन दुगुने उत्साह से काम पर लग गया, थोडे वर्षो मेँ उसके पास एक दर्जन डीलीवरी वाहन थी.
पाँच ही साल मेँ अमेरिका के सबसे बडे रीटेलरो मेँ उसकी गिनती होने लगी |
परिवार के लिए बीमा करने के लिए एक बीमा ऐजेन्ट को बुलाया|
परिवार की जरुरत के हिसाब से विविध बीमा पोलीसी के बारे मेँ बातचीत हुई|
बातचीत के बाद बीमा ऐजेन्ट ने उसकी E-MAIL ID माँगी |

उस लडके ने कहा : ‘ मेरे पास कोई E-MAIL ID नही है |‘ऐजेन्ट ने अचरज करते हुए बोला : ‘ आपके पास E-MAIL ID नही है,
तो इतना बडा व्यवसाय कैसे खडा किया ?
क्या आपने कभी सोचा है कि आज के जमाने की अनिवार्य जरुरतमंद जैसी E-MAIL ID होती तो आप क्या होते ? ”
उस लडके हँसकर जवाब दिया : ” OFFICE-BOY. ”


MORAL :
PROBLEM
हमारी रोजाना जिन्दगी का अनिवार्य हिस्सा है| Main मुद्दा तो यह है कि हर एक PROBLAM को किस तरीके से SOLVE
करते है | निराश होकर PROBLEM को रखने के बजाय PROBLEM को नई नजर से देखेगेँ तो उसमेँ भी कई मौके दिखेगेँ|
छोटी सी PROBLEM सफलता के बीच बाधा डालती हो तो उस PROBLEM को ही नई द्रष्टि से SOLVE करके उसको EXTRA-CHANCE बनाओ ना कि LAST CHANCE.

अपने परिवार और दोस्तों के लिए समय निकालो


एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे  आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ...
उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें
टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... 
उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ...
आवाज आई ... 
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये ,
फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा
अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ
अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा ..
सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थित थोडी सी जगह में सोख ली गई ...
प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया
इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो ....
टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं ,
छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और
रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है ..
अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या
कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ...
ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ...
यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा ...
मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ, घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ... 
टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है
... बाकी सब तो रेत है ..
छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे ..
अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बताया
कि " चाय के दो कप " क्या हैं ?
प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ...
इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन
अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।

यदि पानी चाहिए तो केवल एक कुआँ खोदो

एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि "मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला।"
उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चल कर उस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया।
वह बोला, "दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कब का मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।"

कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहीं हो पाती।




मेंढको की टर्र टर्र पर ध्यान न दे

अपने अच्छे व्यवहार के कारण दूर -दूर तक उसे लोग जानते थे और उसकी प्रशंशा करते थे।

पर एक दिन जब देर शाम वह खेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछ लोगों को बाते करते सुना, वे उसी के बारे में बात कर रहे थे।

मोहन अपनी प्रशंशा सुनने के लिए उन्हें बिना बताये धीरे -धीरे उनके पीछे चलने लगा, पर उसने उनकी बात सुनी तो पाया कि वे उसकी बुराई कर रहे थे | कोई कह रहा था कि, “ मोहन घमण्डी है .” , तो कोई कह रहा था कि ,” सब जानते हैं वो अच्छा होने का दिखावा करता है …”

मोहन ने इससे पहले सिर्फ अपनी प्रशंशा सुनी थी पर इस घटना का उसके दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ा और अब वह जब भी कुछ लोगों को बाते करते देखता तो उसे लगता वे उसकी बुराई कर रहे हैं। यहाँ तक कि अगर कोई उसकी तारीफ़ करता तो भी उसे लगता कि उसका मजाक उड़ाया जा रहा है।

धीरे -धीरे सभी ये महसूस करने लगे कि मोहन बदल गया है, और उसकी पत्नी भी अपने पति के व्यवहार में आये बदलाव से दुखी रहने लगी और एक दिन उसने पूछा, “आज -कल आप इतने परेशान क्यों रहते हैं ;कृपया मुझे इसका कारण बताइये।”
मोहन ने उदास होते हुए उस दिन की बात बता दी। पत्नी को भी समझ नहीं आया कि क्या किया जाए पर तभी उसे ध्यान आया कि पास के ही एक गाँव में एक सिद्ध महात्मा आये हुए हैं, और वो बोली, “ स्वामी , मुझे पता चला है कि पड़ोस के गाँव में एक पहुंचे हुए संत आये हैं। चलिये हम उनसे कोई समाधान पूछते हैं।”

अगले दिन वे महात्मा जी के शिविर में पहुंचे। मोहन ने सारी घटना बतायी और बोला, महाराज उस दिन के बाद से सभी मेरी बुराई और झूठी प्रशंशा करते हैं, कृपया मुझे बताइये कि मैं वापस अपनी साख कैसे बना सकता हूँ ! !”
महात्मा मोहन कि समस्या समझ चुके थे।
बोले “ पुत्र तुम अपनी पत्नी को घर छोड़ आओ और आज रात मेरे शिविर में ठहरो।”
मोहन ने ऐसा ही किया। पर जब रात में सोने का समय हुआ तो अचानक ही मेढ़कों के टर्र -टर्र की आवाज आने लगी।
मोहन बोला, “ ये क्या महाराज यहाँ इतना कोलाहल क्यों है ?”
बाबा बोले “पुत्र , पीछे एक तालाब है , रात के वक़्त उसमे मौजूद मेढक अपना राग अलापने लगते हैं !!!”
मोहान ने चिंता जताई “पर ऐसे में तो कोई यहाँ सो नहीं सकता ??,” 
महात्मा जी बोले “हाँ बेटा, पर तुम ही बताओ हम क्या कर सकते हैं, हो सके तो तुम हमारी मदद करो “,
मोहन बोला , “ ठीक है महाराज , इतना शोर सुनके लगता है इन मेढकों की संख्या हज़ारों में होगी , मैं कल ही गांव से पचास -साठ मजदूरों को लेकर आता हूँ और इन्हे पकड़ कर दूर नदी में छोड़ आता हूँ .”
और अगले दिन मोहन सुबह -सुबह मजदूरों के साथ वहाँ पंहुचा , महात्मा जी भी वहीँ खड़े सब कुछ देख रहे थे .
तालाब जयादा बड़ा नहीं था , 8-10 मजदूरों ने चारों और से जाल डाला और मेढ़कों को पकड़ने लगे …थोड़ी देर की ही मेहनत में सारे मेढक पकड़ लिए गए | जब मोहन ने देखा कि कुल मिला कर 50-60 ही मेढक पकडे गए हैं तब उसने माहत्मा जी से पूछा , “ महाराज , कल रात तो इसमें हज़ारों मेढक थे , भला आज वे सब कहाँ चले गए , यहाँ तो बस मुट्ठी भर मेढक ही बचे हैं .”

महात्मा जी गम्भीर होते हुए बोले , “ कोई मेढक कहीं नहीं गया, तुमने कल इन्ही मेढ़कों की आवाज सुनी थे, ये मुट्ठी भर मेढक ही इतना शोर कर रहे थे तुम्हे लगा हज़ारों मेढक टर्र -टर्र कर रहे हों। पुत्र, इसी प्रकार जब तुमने कुछ लोगों को अपनी बुराई करते सुना तो तुम भी यही गलती कर बैठे , तुम्हे लगा कि हर कोई तुम्हारी बुराई करता है पर सच्चाई ये है कि बुराई करने वाले लोग मुठ्ठी भर मेढक के सामान ही थे. इसलिए अगली बार किसी को अपनी बुराई करते सुनना तो इतना याद रखना कि हो सकता है ये कुछ ही लोग हों जो ऐसा कर रहे हों , और इस बात को भी समझना कि भले तुम कितने ही अच्छे क्यों न हो ऐसे कुछ लोग होंगे ही होंगे जो तुम्हारी बुराई करेंगे।”

अब मोहन को अपनी गलती का अहसास हो चुका था , वह पुनः पुराना वाला मोहन बन चुका था.

मोहन की तरह हमें भी कुछ लोगों के व्यवहार को हर किसी का व्यवहार नहीं समझ लेना चाहिए और सकारात्म सोच से अपनी ज़िन्दगी जीनी चाहिए। हम कुछ भी कर लें पर जीवन में कभी ना कभी ऐसी समस्या आ ही जाती है जो रात के अँधेरे में ऐसी लगती है मानो हज़ारों मेढक कान में टर्र-टर्र कर रहे हों। पर जब दिन के उजाले में हम उसका समाधान करने का प्रयास करते हैं तो वही समस्या छोटी लगने लगती है. इसलिए हमें ऐसी परिस्थिति में घबराने की बजाये उसका समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए और कभी भी मुट्ठी भर मेढकों से घबराना नहीं चाहिए॥



Dont Keep Your Problem With Yourself For Long Time

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अभी पिछले महीने हमारी कंपनी में एक ट्रेनर  हमारे स्टाफ को ट्रेनिंग दे रहे थे | उन्होनें एक ग्लास अपने हाथ में उठाया और कर्मचारियों की  ओर देखते हुए पूछा कि” इस ग्लास का वजन कितना होगा?”
 सभी ने विभिन्न उत्तर दिए किसी ने कहा 50 ग्राम, किसी ने 100 ग्राम, किसी ने 150 ग्राम| ट्रेनर ने मुस्करा कर कहा कि इसका सही वजन मुझे भी नहीं पता परंतु अगर में इस ग्लास को 10 मिनिट तक ऐसे ही हाथ में उठाए खड़ा रहूं तो क्या होगा?

तभी हम लोगो में से एक कर्मचारी ने हाथ ऊपर किया और बोला - सर कुछ भी नहीं होगा|
ठीक है अगर में इस ग्लास को 1 घंटे तक ऐसे ही उठा के रखूं तो क्या होगा? टीचर ने पूछा| 
हम लोगो ने कहा कि श्रीमान आपके हाथ में दर्द होने लगेगा| 
अच्छा अगर में इसे ऐसे ही 1 दिन तक उठाए खड़ा रहूं तो क्या होगा? फिर से ट्रेनर ने पूछा|
हम सब ने कहा कि श्रीमान आपका हाथ जड़ हो जाएगा, डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा, यह कहते हुए पूरा ट्रेनिंग हॉल हसी से गूँजने  लगा । 
तब ट्रेनर ने मुस्कुराते हुए बताया कि  जीवन में आने वाली अनेकों समस्याएँ भी इसी ग्लास की तरह हैं जिनका वजन तो उतना ही रहता है लेकिन अगर ज़्यादा समय तक उनका निवारण ना किया जाए तो वह बहुत बड़ी परेशानी बनाकर सामने आती है| अगर तुम समस्या को तुरंत हल नहीं करोगे तो बाद में पछताना पड़ेगा|
मतलब सिर्फ और सिर्फ इतना है मेरे दोस्तों कि हमको अपनी समस्या को गिलास की तरह जल्दी से जल्दी अपने से दूर करना होगा । तभी हम खुश रह सकते है नहीं तो गिलास की तरह समस्या हमारे शरीर को दुःख ही पहुचायेगी । 



How to Plan for New Year 2015

दोस्तों,  बधाई ,बहुत बधाई  आपको ..... 

किस बात की

अरे, उस परमात्मा,ईश्वर ,खुदा ने आपको हजार-हजार के 365 कड़क नोट दिए हैं ,नए साल में खर्च करने के लिए ,
पता है ना ,इसीलिए बधाई  लेकिन उसकी एक छोटी सी शर्त है ,कि आप एक दिन में एक नोट ही खर्च करेंगे,काम लेंगे ! और हर दिन के साथ एक नोट आपकी तिजोरी से अपने आप कम होता जाएगा ,काम ले लें तो अच्छा वरना अपने आप lapse हो जाएगा ! अब ये हमारे ऊपर है की हम चाहें तो हजार के इस नोट को invest कर के उसे लाख में बदल लें ,या यूँ ही गायब हो जाने दें !

क्या सोचा है आपने ? काम लेंगे ना ,ज्यादा से ज्यादा नोट काम लेंगे ! अच्छी बात है ,बधाई...  

लेकिन दोस्तों ,सिर्फ सोचने मात्र से नोट खर्च नहीं होंगे ,मेहनत करनी पड़ेगी ,काम करना पड़ेगा ,इन्हें खर्च करने और लाभ लेने के लिए !

तो  उठाइये कागज़,कलम और बनाइये plan इन रुपयों (दिनों) को सही तरीके से खर्च करने का !

इस नए साल की शुरुआत थोड़े आत्म-चिंतन के साथ ,ठीक है ना ? ये आधे-एक घण्टे का workout हमारे पूरे साल की दिशा तय कर देगा ! तो तैयार हैं आप ? चलिए ,शुरू करते हैं...  

एक कॉपी-पेन या notebook लीजिये ! घर में या जहाँ भी आप चाहें ,शान्त होकर एक जगह बेठिये ! कोई शोर नहीं ,disturbance नहीं ,no mobile,net etc. nothing शान्ति से बेठिये ,थोड़ी गहरी सांसें लीजिये ,मन को शांत कीजिये ,relex ....  दोस्तों ,आपने गए साल (2014 ) के लिए भी कुछ target बनाये ही होंगे ,है ना ? एक निवेदन इस exercise को आप पूरी ईमानदारी ,निष्ठा और सब्र से कीजिएगा ! आखिर आने वाले साल का पूरा master plan जो बनाने जा रहे हैं आप 

अपनी notebook के पहले page पर लिखिए ---

2014 के मेरे target थे
1. 
2. 
पूरी ईमानदारी से उन्हें कागज़ पर लिख लीजिये !

पूरे हुए target ---
1. ------------                     बधाई 
2. ------------                     बधाई 
अपने आप को शाबाशी दीजिये ,दिल से 

वो target जो पूरे नहीं हो पाये ---
target                    पूरा न होने का कारण 
1.                                ----------कारण 
2.                                ----------कारण 
वो कारण जिस वजह से वो लक्ष्य पूरे नहीं हो पाये ,कुछ मैं बता देता हूँ (क्योंकि इनमे से कुछ मुझ पर भी लागू हुए हैं  ) आलस , लापरवाही , कल कर लेंगे , अभी तो बहुत समय है , work load , health issue , समय की कमी , भूल गए ……… 


है ना ? पूरी ईमानदारी से अपनी कमियों को, उन कारणो को लिख लीजिये ,कि कहाँ कमी रही हमारे अंदर ! 

चलिए आगे चलते हैं !

अगला page खोलिए ,लिखिए

नए साल (2015) के target ----

1. old remaining--वो जो पिछले साल के बकाया रह गए 
2. new targets--जिन्हें इस साल में पाना है

Targets एक साल के हिसाब से ही बनाएं, practical,achievable but slightly tough

 एक साहब ने new year resolution लिया कि मैं नए साल में शराब नहीं पियूँगा ! 
अच्छी बात है...  किसी ने पूछा ,वैसे,  क्या अभी बहुत ज्यादा पीते हैं
अरे नहीं ,मैंने तो आज तक शराब चखी भी नहीं है ! 
इसलिए संकल्प भी पूरा और कोई headache भी नहीं …… 

दोस्तों, ये भुलावा है ,छलावा है अपने आप से  हम संकल्प वो ही लें जो हम नहीं हैं ,पर होना चाहते हैं ! गलत है तो छोड़ना चाहते हैं ! ऐसे सरल लक्ष्य और संकल्प लेकर हम किस को धोखा देंगे ? अपने आप को ही ना.. 
target तो बन गए ! अब उनको पूरा करने का सही systematic plan  भी कागज़ के अगले page पर बना लीजिये , points में  

कब कोनसा target achieve करना है इसे भी लिख लीजिये (timing )

अब notebook के next page को 2 हिस्सों में divide कीजिये

side पर लिखिए ----  

My qualities ( मेरी खूबियाँ ---बहुत होंगी , दिल से ढूंढिएगा   )

दूसरी side पर लिखिए ---


My weaknesses (मेरी कमजोरियां )

पूरी ईमानदारी से अपनी अच्छाइयों और कमियों को लिख लीजिये !

अब अपनी qualities , अपनी खूबियों वाला page पढ़िए , भगवान् को , ईश्वर को धन्यवाद दीजिये ,प्रभु आपने इतनी अच्छाइयाँ इतनी अच्छी qualities मुझे दी हैं ,आपको अनेक धन्यवाद |

दिल से  अपने कमजोरियों वाले page को भी पढ़िए ! फिर उसके बगल में लिखिए कि मैं इन्हें कैसे दूर कर सकता हूँ ! बाकायदा उसका तरीका लिखिए और हाँ उसकी समय-सीमा भी| 
 किसी target या काम को समय-सीमा में बांधना ,किसी घोड़े को नकेल डालने जैसा है !

for ex.  

कमी ---

1. देर से उठना 
 2. TV ज्यादा देखना 

उपाय no. 1. 

मैं संकल्प करता हूँ कि 09/03/2015 से मैं सुबह 5 :30  बजे उठूंगा !
इसके लिए रात में 10 बजे तक जरुर सो जाऊँगा !
इसी तरह सारी  कमियां और उनका निराकरण लिख लीजिये !

अब इस notebook के main targets को एक page पर मोटे font में लिख कर mirror या  bedroom में लगा लीजिये !
क्योंकि जो दिखता है वही टिकता है !

कहा भी है --out of sight ,out of mind 

बस,अपने ईष्ट को हाजिर-नाजिर जान अपना यह plan बनाइये ! प्रार्थना कीजिये कि वो आपके अच्छे काम और लक्ष्य को पूरा करने में आपकी मदद करे !

और फिर बस जुट जाइये ,अपने लक्ष्य पाने…… 




 

आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.