Dont Keep Your Problem With Yourself For Long Time

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अभी पिछले महीने हमारी कंपनी में एक ट्रेनर  हमारे स्टाफ को ट्रेनिंग दे रहे थे | उन्होनें एक ग्लास अपने हाथ में उठाया और कर्मचारियों की  ओर देखते हुए पूछा कि” इस ग्लास का वजन कितना होगा?”
 सभी ने विभिन्न उत्तर दिए किसी ने कहा 50 ग्राम, किसी ने 100 ग्राम, किसी ने 150 ग्राम| ट्रेनर ने मुस्करा कर कहा कि इसका सही वजन मुझे भी नहीं पता परंतु अगर में इस ग्लास को 10 मिनिट तक ऐसे ही हाथ में उठाए खड़ा रहूं तो क्या होगा?

तभी हम लोगो में से एक कर्मचारी ने हाथ ऊपर किया और बोला - सर कुछ भी नहीं होगा|
ठीक है अगर में इस ग्लास को 1 घंटे तक ऐसे ही उठा के रखूं तो क्या होगा? टीचर ने पूछा| 
हम लोगो ने कहा कि श्रीमान आपके हाथ में दर्द होने लगेगा| 
अच्छा अगर में इसे ऐसे ही 1 दिन तक उठाए खड़ा रहूं तो क्या होगा? फिर से ट्रेनर ने पूछा|
हम सब ने कहा कि श्रीमान आपका हाथ जड़ हो जाएगा, डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा, यह कहते हुए पूरा ट्रेनिंग हॉल हसी से गूँजने  लगा । 
तब ट्रेनर ने मुस्कुराते हुए बताया कि  जीवन में आने वाली अनेकों समस्याएँ भी इसी ग्लास की तरह हैं जिनका वजन तो उतना ही रहता है लेकिन अगर ज़्यादा समय तक उनका निवारण ना किया जाए तो वह बहुत बड़ी परेशानी बनाकर सामने आती है| अगर तुम समस्या को तुरंत हल नहीं करोगे तो बाद में पछताना पड़ेगा|
मतलब सिर्फ और सिर्फ इतना है मेरे दोस्तों कि हमको अपनी समस्या को गिलास की तरह जल्दी से जल्दी अपने से दूर करना होगा । तभी हम खुश रह सकते है नहीं तो गिलास की तरह समस्या हमारे शरीर को दुःख ही पहुचायेगी । 



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आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.