SEE YOUR PROBLEM AS A SOLUTION


एक बेरोजगार युवा ने OFFICE-BOY के लिए प्रार्थना पत्र लिखा|
एक अधिकारी ने उसका इन्टरव्युं लिया| इन्टरव्युं के बाद उसने युवा लडके से उसकी E-MAIL ID माँगी|
उस लडके पास E-MAIL ID नही थी|
अधिकारी बोला : ” आज जिसके पास E- MAIL ID नही उसकी कोई पहचान नही|
मुझे अफसोस है लेकिन एक पहचानहीन व्यक्ति के लिए हमारी OFFICE मेँ कोई
जगह नही|”
लडका निराश हुआ, लेकिन हिम्मत नही हारी| थोडा सोचने के बाद
अपनी 500 रुपये जैसी मामुली रकम की साग-सब्जी खरीदी और घर-घर जाकर  बेचने लगा | यह काम पुरे दिन मेँ तीन बार किया.रात को जब घर जाने लगा तब उसके हाथमेँ 3000 रुपये थे |
दुसरे दिन दुगुने उत्साह से काम पर लग गया, थोडे वर्षो मेँ उसके पास एक दर्जन डीलीवरी वाहन थी.
पाँच ही साल मेँ अमेरिका के सबसे बडे रीटेलरो मेँ उसकी गिनती होने लगी |
परिवार के लिए बीमा करने के लिए एक बीमा ऐजेन्ट को बुलाया|
परिवार की जरुरत के हिसाब से विविध बीमा पोलीसी के बारे मेँ बातचीत हुई|
बातचीत के बाद बीमा ऐजेन्ट ने उसकी E-MAIL ID माँगी |

उस लडके ने कहा : ‘ मेरे पास कोई E-MAIL ID नही है |‘ऐजेन्ट ने अचरज करते हुए बोला : ‘ आपके पास E-MAIL ID नही है,
तो इतना बडा व्यवसाय कैसे खडा किया ?
क्या आपने कभी सोचा है कि आज के जमाने की अनिवार्य जरुरतमंद जैसी E-MAIL ID होती तो आप क्या होते ? ”
उस लडके हँसकर जवाब दिया : ” OFFICE-BOY. ”


MORAL :
PROBLEM
हमारी रोजाना जिन्दगी का अनिवार्य हिस्सा है| Main मुद्दा तो यह है कि हर एक PROBLAM को किस तरीके से SOLVE
करते है | निराश होकर PROBLEM को रखने के बजाय PROBLEM को नई नजर से देखेगेँ तो उसमेँ भी कई मौके दिखेगेँ|
छोटी सी PROBLEM सफलता के बीच बाधा डालती हो तो उस PROBLEM को ही नई द्रष्टि से SOLVE करके उसको EXTRA-CHANCE बनाओ ना कि LAST CHANCE.

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आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.