सकारात्मक सोच का जादू

दो मित्र थे |  वे किसी जूते बनाने की कंपनी मे नौकरी करते थे । कंपनी में जूते बनते थे और उन दोनों का काम था बाज़ार में जूते बेचना ।

एक बार कंपनी के मालिक ने उनको किसी एक ऐसे गाँव मे जूते बेचने भेजा जहाँ सभी लोग नंगे पैर रहते थे कोई चप्पल या जूते नहीं पहनता था ।

पहला बंदा गाँव में जाता है और वहाँ के लोगों को देखकर बड़ा परेशान हो जाता है कि यहाँ तो कोई जूते ही नहीं पहनता यहाँ में अपने जूते कैसे बेचूँगा | ये सोचकर वो वापस आ जाता है | 


फिर दूसरा मित्र गाँव में जाता है और ये देखकर काफ़ी खुश होता है कि यहाँ तो कोई जूते ही नहीं पहनता अब तो मैं अपने सारे जूते यहाँ बेच सकता हूँ यहाँ तो मेरे बहुत सारे ग्राहक हैं । और वो वहाँ  के लोगो के पास जाकर जूते और चप्पल के फायदे बताता है और धीरे धीरे लोग उसके जूते, चप्पल खरीदने लगते है । वह सेल्समेन उस साल का अपनी कंपनी का बेस्ट सेलर घोषित होता है । मालिक  उसे इंसेंटिव, एक कार और प्रमोशन करके अपनी कंपनी का चीफ मैनेजर बना देता है और उसकी सैलरी बढ़ा कर दुगनी कर देता है । 


और पहले वाले सेल्समेन का क्योकि टारगेट बी बड़ी मुश्क़िल से पूरा होता है तो उसकी नौकरी जाते जाते बचती है । 

तो मित्रों, यही फ़र्क होता है सकारात्मक और नकारात्मक सोच में ।

दुनिया मे कुछ भी असंभव नहीं है बस सोच हमेशा सकारात्मक (Positive) होनी चाहिए ।


सकारात्मक सोच (Positive Thinking) का जादू पूरी दुनिया मे  आपको Popular कर देता है | सकारात्मक सोच (Positive Thinking) रखने वाले लोग चाँद पर भी पहुँच जाते हैं और नकारात्मक सोच (Negative Thinking) वाले लोग जीवन भर कूप मंडूक बने रहते हैं । 



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आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.